नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार ने शुक्रवार को 29 साल में पहली बार लगातार पांचवे महीने गिरावट के साथ बंद होने का अनचाहा रिकॉर्ड बना दिया। इसके पहले 1996 में जुलाई से लेकर नवंबर तक लगातार पांच महीने निफ्टी गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुआ था। शेयर बाजार ने आज जोरदार गिरावट के साथ फरवरी के कारोबार का अंत किया।
हालांकि, अगर सबसे लंबे समय तक शेयर बाजार के लाल निशान में कारोबार करने की क्या रिकॉर्ड की बात है, तो वो समय 1994 से शुरू होकर 1995 तक चला था। सितंबर, 1994 से लेकर अप्रैल, 1995 तक लगातार 8 महीने निफ्टी मासिक आधार पर गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुआ था। इन दोनों मौकों के अलावा अब पांच महीने लंबी गिरावट का रिकॉर्ड बना है। आज मार्केट बंद होते ही घरेलू शेयर बाजार अपने इतिहास की तीसरी सबसे लंबी गिरावट का शिकार हो गया। पिछले साल सितंबर के महीने में 27 तारीख को शेयर बाजार ने ऑल टाइम हाई का नया रिकॉर्ड बनाया था। बाजार की तेजी के कारण 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 अंक तक पहुंचने में सफल रहा था। इसी तरह निफ्टी भी उछल कर 26,277.35 अंक के स्तर को टच करने में सफल रहा था। इस तेजी के बाद बाजार में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।
अपने ऑल टाइम हाई से सेंसेक्स अभी तक 12,780.15 अंक और निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई से अभी तक 4,152.65 अंक टूट चुके हैं। इस तरह सेंसेक्स ऑल टाइम हाई से 14.86 प्रतिशत और निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई 15.80 प्रतिशत कमजोर हो चुके हैं। सिर्फ फरवरी महीने की ही बात की जाए, तो मासिक आधार पर शेयर बाजार करीब 4 प्रतिशत की गिरावट का शिकार हो चुका है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि घरेलू कंपनियां के कमजोर नतीजों, कमाई के मोर्चे पर बनी लड़खड़ाहट, वैश्विक परिस्थितियों की वजह से विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही लगातार बिकवाली और ग्लोबल ट्रेड वॉर शुरू होने की आशंका के कारण भारतीय स्टॉक मार्केट मंदड़ियों के चंगुल से निकल नहीं पा रहा है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को करारी चोट पहुंची है। मार्केट में लगातार 5 महीने तक करेक्शन होने के बावजूद स्टॉक मार्केट में अभी भी स्थिरता आने की उम्मीद नहीं है।
प्रशांत धामी का कहना है कि आने वाले दिनों में बाजार में और गिरावट आ सकती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि विदेशी निवेशकों की विकासशील देश के स्टॉक मार्केट में घटती दिलचस्पी, हाई वैल्यूएशन और कमाई में गिरावट आने की आशंका की वजह से स्टॉक मार्केट में लगातार अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। ऐसी स्थिति में अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर ने आगे चलकर ग्लोबल ट्रेड वॉर का रूप ले लिया, तो स्लोडाउन की आशंका भी बन सकती है, जिससे दुनिया भर के स्टॉक मार्केट दबाव में आ सकते हैं। ऐसा होने पर इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है।
साभार – हिस
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