नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार बिकवाल (सेलर) की भूमिका में बने हुए हैं। फरवरी के महीने में एफपीआई अभी तक स्टॉक मार्केट से 23,710 करोड़ रुपये के निकासी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिसिप्रोकल ड्यूटी के ऐलान और स्टील तथा एल्युमिनियम के इंपोर्ट पर नए टैरिफ लगाने की बात उठने के कारण बाजार में वैश्विक स्तर पर चिंता बनी हुई है, जिसकी वजह से एफपीआई अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं।
डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2025 में एफपीआई एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं। जनवरी के महीने में एफपीआई ने घरेलू शेयर बाजार से 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी। इसके बाद फरवरी में भी घरेलू बाजार से अपने पैसे की निकासी करते हुए एफपीआई ने 21 फरवरी तक 23,710 करोड़ रुपये की निकासी कर ली। इस तरह 2025 में एफपीआई कुल 1,01,737 करोड़ रुपये निकासी कर चुके हैं। विदेशी निवेशकों की ओर से की जा रही इस जोरदार बिकवाली के कारण निफ्टी ने इस अवधि में वार्षिक आधार पर 4 प्रतिशत का निगेटिव रिटर्न दिया है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैश्विक स्तर पर मची हलचल, खासकर अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की नीतियों की वजह से निवेशकों में चिंता बनी हुई है। विशेष रूप से जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर को तेज करने का संकेत दिया है, उससे ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। ऐसी स्थिति में विदेशी पोर्टफोली निवेशक भारतीय शेयर बाजार समेत दुनिया के सभी उभरते बाजारों में निकासी करके जोखिम प्रबंधन की रणनीति अपना रहे हैं।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि वैश्विक मोर्चे पर बनी चिंता के साथ ही घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के उम्मीद से कमजोर तिमाही नतीजे और डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण रुपये की कीमत में आई गिरावट के कारण भी इंडियन एसेट्स को लेकर ग्लोबल अपील कमजोर हुई है। इसके अलावा भारतीय बाजारों में हो रही बिकवाली के पीछे एक वजह चीन में बना खरीदारी का माहौल भी है, जिसकी वजह से विदेशी निवेशक भारत में बिकवाली करके इस पैसे से चीन में लिवाली करने में जुटे हैं।
साभार – हिस
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