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भारी उद्योग मंत्रालय ने रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने देश के उन्नत बैटरी विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़े कदम के रूप में उन्नत रसायन सेल (एसीसी) को लेकर उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी लिमिटेड (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एक सहायक कंपनी) के साथ एक कार्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किए। सोमवार को हुआ यह समझौता एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी लिमिटेड को 10 गीगावाट घंटा एसीसी क्षमता प्रदान करता है और इसे भारत की 18,100 करोड़ रुपये की पीएलआई एसीसी योजना के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने योग्य बनाता है।

यह समझौता मई 2021 में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत “उन्नत रसायन सेल बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम” पर प्रौद्योगिकी पीएलआई योजना के कार्यान्वयन में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसका कुल परिव्यय 18,100 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य 50 गीगावाट घंटा की कुल विनिर्माण क्षमता हासिल करना है। इस हस्ताक्षर के साथ, 50 गीगावाट घंटा क्षमता में से चार चयनित लाभार्थी फर्मों को 40 गीगावाट घंटा की संचयी क्षमता प्रदान की गई है। मार्च 2022 में आयोजित निविदा के पहले दौर में, तीन लाभार्थी फर्मों को कुल 30 गीगावाट घंटा क्षमता आवंटित की गई थी, और उस दौर के लिए कार्यक्रम समझौतों पर जुलाई 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे।

भारी उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने समारोह के दौरान इस बात पर जोर दिया कि पीएलआई एसीसी योजना स्थानीय मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारत में बैटरी निर्माण की लागत वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनी रहे। यह योजना लाभार्थी फर्म को अत्याधुनिक एसीसी विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए बेहतर तकनीक और संबंधित निवेश अपनाने की सुविधा देती है, जिससे मुख्य रूप से ईवी और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण क्षेत्रों को सहारा मिलता है।

पीएलआई एसीसी योजना के साथ-साथ वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घरेलू बैटरी निर्माण में तेजी लाने और देश में ई-मोबिलिटी प्रणाली के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी उपाय पेश किए गए। उल्लेखनीय रूप से बजट ने ईवी बैटरी निर्माण के लिए 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) से छूट दी, जो देश में लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई एक लक्षित पहल है। इसके अलावा घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने पर इसका जोर एक मजबूत, आत्मनिर्भर उन्नत बैटरी प्रणाली तंत्र स्थापित करने के दृष्टिकोण को दर्शाता है।

भारी उद्योग मंत्रालय नवाचार के लिए अनुकूल माहौल बनाने, मजबूत घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ये सभी सतत विकास और आत्मनिर्भरता के लिए भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण तत्व हैं। भारत सरकार की इस पहल ने भारतीय सेल निर्माताओं के लिए सेल विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए उत्प्रेरक का काम किया है। पीएलआई लाभार्थी के अलावा 10+ कंपनियों ने पहले ही 100+ गीगावॉट घंटे की अतिरिक्त क्षमता स्थापित करनी शुरू कर दी है।
साभार – हिस

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