नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट को विकास को गति देने, समावेशी विकास सुनिश्चित करने और निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने वाला कहा है। उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान में यह 13.18 लाख करोड़ रुपये था।
सीतारमण ने गुरुवार को राज्यसभा में केंद्रीय बजट 2025-26 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह बजट एक चुनौतीपूर्ण समय के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें अनुमान या पूर्वानुमान से परे गंभीर बाहरी चुनौतियां थीं। इसके बावजूद हमने भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए आकलन को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि प्रभावी पूंजीगत व्यय में केंद्रीय बजट में मुख्य पूंजीगत व्यय के साथ-साथ पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्यों को आवंटित अनुदान और सहायता भी शामिल है।
राज्यसभा में विपक्ष की उठाई गई चिंताओं पर सीतारमण ने कहा कि यद्यपि पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदान और सहायता को केंद्र सरकार के खातों में राजस्व व्यय के रूप में दर्ज किया जाता है, फिर भी वे पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्यों को जाते हैं, इसलिए अंततः ये पूंजीगत व्यय है। सीतारमण ने कहा कि इसके बावजूद सरकार ने भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए आकलन को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में प्रभावी पूंजीगत व्यय 2024-25 के संशोधित अनुमान 13.18 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 15.49 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, इसलिए इसमें कोई कटौती नहीं की गई है।
सीतारमण ने विपक्ष के दावों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कृषि एवं संबद्ध पर 1.71 लाख करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास पर 2.67 लाख करोड़ रुपये, शहरी विकास एवं परिवहन पर 6.45 लाख करोड़ रुपये, स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर 2.27 लाख करोड़ रुपये, पेंशन को छोड़कर रक्षा पर 4.92 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इसलिए हमने किसी भी क्षेत्रीय आवंटन में कटौती नहीं की है। वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के प्रथम अग्रिम अनुमानों में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से 6.4 फीसदी और नाममात्र रूप से 9.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी। इसलिए बजट के लिए हमने अपने लक्ष्य ऐसे रखे हैं कि हम विकास में तेजी ला सकें, समावेशी विकास सुनिश्चित कर सकें, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा दे सकें।
साभार – हिस
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