नई दिल्ली। भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 20 जनवरी, 2025 तक 217.62 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें वर्ष 2024 में रिकॉर्ड तोड़ 24.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता और 3.4 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में सौर प्रतिष्ठानों में दोगुने से ज्यादा और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों में 21 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि भारत जैसे-जैसे एक स्थायी भविष्य की ओर अपने को बढ़ा रहा है, इसके नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2024 में देश ने सौर और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों, नीतिगत प्रगति तथा बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे वर्ष 2025 में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिए मंच तैयार हो गया है।
मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता हासिल करने की प्रतिबद्धता के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में उभर रहा है। वर्ष 2024 में रिकॉर्ड तोड़ 24.5 गीगावाट सौर क्षमता और 3.4 गीगावाट पवन क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में सौर प्रतिष्ठानों में दोगुने से अधिक वृद्धि और पवन प्रतिष्ठानों में 21 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है।
मंत्रालय के मुताबिक यह बढ़ोतरी सरकारी प्रोत्साहन, नीतिगत सुधारों और घरेलू सौर और पवन टरबाइन विनिर्माण में बढ़े हुए निवेश के कारण संभव हुआ। भारत की अक्षय ऊर्जा वृद्धि में सौर ऊर्जा प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में बनी रही, जो कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता का 47 फीसदी है। पिछले साल 18.5 गीगावाट सौर क्षमता की स्थापना हुई, जो 2023 की तुलना में करीब 2.8 गुना अधिक है। राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में उभरे, जिनका भारत के कुल सौर ऊर्जा उत्पादन में 71 फीसदी का योगदान रहा।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक रूफटॉप सोलर सेक्टर में भी 2024 में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें 4.59 गीगावॉट की नई क्षमता स्थापित की गई जो वर्ष 2023 से 53 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं, वर्ष 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना ने इस विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे दस महीनों के भीतर 7 लाख रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन की सुविधा मिली। इसके अलावा ऑफ-ग्रिड सोलर सेगमेंट में 182 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2024 में 1.48 गीगावॉट जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में भारत के ऊर्जा पहुंच लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है।
मंत्रालय ने कहा कि भारत ने 2024 में 3.4 गीगावाट नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जिसमें गुजरात 1,250 मेगावाट, कर्नाटक 1,135 मेगावाट और तमिलनाडु 980 मेगावाट सबसे आगे हैं। इन राज्यों ने नई पवन ऊर्जा क्षमता में 98 फीसदी की वृद्धि की, जो पवन ऊर्जा उत्पादन में उनके निरंतर बढोतरी को दर्शाता है। गौरतलब है कि 20 जनवरी 2025 तक भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 217.62 गीगावाट तक पहुंच गई है।
साभार – हिस
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