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कैट ने ट्रैवल एवं टूरिज्म क्षेत्र में चीनी निवेश और डाटा सुरक्षा की जांच की मांग की

नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भारत के ट्रैवल एवं टूरिज्म क्षेत्र में कुछ बड़ी कंपनियों और चीन के निवेश को लेकर सवाल उठाने के साथ-साथ चिंता जताई है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से ट्रैवल एवं टूरिज्म के क्षेत्र में काम करने वाली इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल की जांच कराने की मांग की है।

कैट ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि देश में ट्रैवल एवं टूरिज्म क्षेत्र में चंद बड़ी कंपनियों, जिनमें खासकर चीनी धन का निवेश के साथ-साथ नियंत्रण भी है, उन्होंने इस क्षेत्र में ट्रैवल एजेंटों के कारोबार को लगभग समाप्त कर दिया है। इनके द्वारा एकत्र डाटा की सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ने की आशंका जताते हुए कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया है कि ट्रैवल एवं टूरिज्म के क्षेत्र में काम करने वाली इन बड़ी कंपनियों के बिजनेस मॉडल की जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके द्वारा एकत्र डाटा का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। इसके साथ ही यह भी देखा जाए कि इस क्षेत्र में अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा तो नहीं हो रही है?

कारोबारी संगठन कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाते हुए कहा कि भारत में ट्रैवल एवं टूरिज्म व्यवसाय देशभर में फैले लगभग 10 लाख से अधिक ट्रैवल एजेंटों द्वारा किया जा रहा था, जो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी दिया करते थे। पिछले कुछ सालों में चीनी एवं अन्य विदेशी निवेश के बल पर इस व्यवसाय पर कुछ चंद कंपनियों ने पूरा कब्जा कर लिया है। अब वो अपने पोर्टल के माध्यम से सारी बुकिंग करते हैं। उनकी कंपनी में बड़ी मात्रा में विदेशी धन का निवेश हुआ है, इसलिए यह व्यापार अब चंद बड़े हाथों में ही सिमट कर गया है। यह व्यवसाय अब एक एकाधिकार के रूप में काम कर रहा है और भारत के लोगों का बड़ा डाटा इनके पास इकट्ठा हुआ है।

खंडेलवाल ने इस संबंध में ट्रैवल एवं टूरिज्म के क्षेत्र की कंपनी मेकमायट्रिप का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस कंपनी में बड़ी मात्रा में चीनी धन का निवेश होने से कंपनी के बोर्ड में 10 निदेशकों में से 5 निदेशक चीन की कंपनी ट्रिप.कॉम से हैं, जिसका कंट्रोल शंघाई से होता है। ट्रिप.कॉम की एक और कंपनी है स्काई स्कैनर, जो हवाई यात्रा के लिए एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंट्स के बीच सस्ते टिकट की तुलना करती है। उन्होंने कहा कि बाजार में अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाते हुए अप्रत्यक्ष रूप से मेकमायट्रिप को लाभ पहुंचाती है, जिससे प्रतिस्पर्धा की संभावना लगभग खत्म हो गई है। यह अपनी तरह का एक कार्टेल है, जिसने धीरे-धीरे भारतीय ट्रैवल एंड टूरिज्म के व्यवसाय के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया है।

कैट महामंत्री ने मेकमायट्रिप पर यात्रियों के डेटा के दुरुपयोग की आशंका जाहिर करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से इसकी जांच कराने की मांग की है। गौरतलब है कि मेकमायट्रिप के पोर्टल पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग हवाई यात्रा की टिकट बुक कराते हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का डाटा इनके पास एकत्र होता है।
साभार -हिस

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