इण्डो एशियन टाइम्स, नई दिल्ली।
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के व्यय विभाग ने चालू वित्त वर्ष में ओडिशा समेत 16 राज्यों में 56,415 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी है। यह मंजूरी ‘पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता 2023-24’ योजना के तहत दी गई है। जानकारी के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश को 1255, बिहार को 9640, छत्तीसगढ को 3195, गोवा को 386, गुजरात को 3478, हरियाणा को 1093, हिमाचल प्रदेश को 826, कर्नाटक को 3647, मध्य प्रदेश को 7850, मिजोरम को 399, ओडिशा को 4528, राजस्थान को 6026, सिक्किम को 388, तमिलनाडु को 4079, तेलंगाना को 2102, पश्चिम बंगाल को 7523 करोड़ रुपये मिलेंगे।
स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, जल आपूर्ति, बिजली, सड़क, पुल और रेलवे सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए पूंजी निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जल जीवन मिशन और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के राज्य के हिस्से को पूरा करने के लिए भी इस योजना के तहत राज्यों को धन प्रदान किया गया है, ताकि इन क्षेत्रों से जुड़ी परियोजनाओं की गति में तेजी लाई जा सके।
50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में कुल 1.3 लाख करोड़ की विशेष सहायता
पूंजीगत व्यय के उच्च गुणात्मक प्रभाव को देखते हुए और राज्यों द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय बजट 2023-24 में ‘पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता 2023-24’ योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना के तहत, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य सरकारों को 50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये की विशेष सहायता प्रदान की जा रही है।
इस योजना के आठ भाग हैं, 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ भाग-I सबसे बड़ा है। राज्यों के बीच केंद्रीय करों और शुल्क में उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में आवंटन से सम्बंधित 15वें वित्त आयोग के निर्णय के अनुसार, यह राशि आवंटित की गई है। योजना के अन्य भाग या तो सुधारों से जुड़े हैं या क्षेत्र विशेष परियोजनाओं के लिए हैं।
योजना के भाग-II में के तहत 3,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित
योजना के भाग-II में के तहत 3,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है, ताकि राज्य सरकारों के वाहनों और एम्बुलेंस को स्क्रैप करने, पुराने वाहनों पर देनदारियों की छूट देने, पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए व्यक्तियों को कर रियायतें प्रदान करने और स्वचालित वाहन परीक्षण सुविधाओं की स्थापना के लिए राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके। योजना के भाग-III और IV का उद्देश्य शहरी नियोजन और शहरी वित्त में सुधार के लिए राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान करना है। शहरी नियोजन सुधारों के लिए 15,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए हैं, जबकि शहरी स्थानीय निकायों को ऋण-सुविधा योग्य बनाने और उनके वित्त में सुधार के लिए अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं।
मेक इन इंडिया और ओडीओपी के लिए 5,000 करोड़ मंजूर
इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में पुलिस स्टेशन के परिसर में पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के लिए आवासों की संख्या में वृद्धि करना भी है। योजना के भाग-V के तहत इस उद्देश्य के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। योजना का एक अन्य उद्देश्य, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना, “मेक इन इंडिया” की अवधारणा को आगे बढ़ाना और प्रत्येक राज्य में यूनिटी मॉल के निर्माण के माध्यम से “एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी)” की अवधारणा को प्रोत्साहन देना है। योजना के भाग-VI के तहत इस उद्देश्य के लिए 5,000 करोड़ रुपये मंजूर किये गए हैं।
डिजिटल अवसंरचना के साथ पुस्तकालय के लिए 5,000 करोड़
योजना का भाग-VII का उद्देश्य बच्चों और किशोरों के लिए पंचायत और वार्ड स्तर पर डिजिटल अवसंरचना के साथ पुस्तकालय स्थापित करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है और इसके लिए 5,000 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले वित्त वर्ष में ‘पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता 2022-23’ नाम से एक ऐसी ही योजना क्रियान्वित की गई थी। योजना के तहत 95,147.19 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को 81,195.35 करोड़ रुपये जारी किये गये थे।
कोविद-19 महामारी के मद्देनजर, पूंजी निवेश/व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना, वित्त मंत्रालय द्वारा पहली बार 2020-21 में शुरू की गई थी, जिसने राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए समय पर प्रोत्साहन प्रदान किया था। बजट-पूर्व परामर्शों में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों ने योजना की संरचना में सहनीयता और सरलता की लगातार प्रशंसा की है।