जयपुर, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि एक बार फिर मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के 2022-23 के समर्थन मूल्य घोषित करने में देश के किसानों से घोर विश्वासघात किया है। किसान की आमदनी बढ़ाना तो दूर, किसान का दर्द सौ गुना बढ़ा दिया है।
राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी सुरजेवाला ने उदयपुर में गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार पर्याप्त मात्रा में फसल समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही है। साथ ही लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया है। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया था कि देश में महंगाई की दर 6.7 प्रतिशत होकर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। सरकार ने खरीफ फसलों के जो समर्थन मूल्य जारी किए हैं, वो उस महंगाई दर की वृद्धि से भी कम वृद्धि समर्थन मूल्य में की है। सामान्य तौर पर केंद्र सरकार गेहूं और धान समर्थन मूल्य पर खरीदती है, बाकी समर्थन मूल्य के लिए घोषित फसलों में नाम मात्र की खरीदी की जाती है।
सुरजेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय पतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों की औसत आमदनी 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74000 रुपये हो गया है। मोदी सरकार को किसानों से सरोकार है तो किसानों से सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित करने की औपचारिकता का छलावा करने की अपेक्षा समर्थन मूल्य का कानून बनाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने छह साल पहले 2016 में किसानों के साथ फसलों के दाम दो गुना करने का छलावा किया था। उसकी पोल खुद एग्रीकल्चर की पार्लियामेंट्री कमेटी ने खोल दी। रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार की आमदनी दोगुनी करने की घोषणा बहुत दूर की कौड़ी है। सरकार लगातार कृषि बजट का प्रतिशत कुल बजट में कम कर रही है और बीते 3 साल में 67 हजार करोड़ कृषि बजट के खर्च ही नहीं किए सरेंडर कर दिए। कमेटी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार कुल बजट में से प्रतिवर्ष कृषि बजट को कम करती जा रही है। 2019-20 में कुल बजट का 4.68 प्रतिशत कृषि बजट का हिस्सा था। इसे कम करके 2020-21 और 2021-22 में क्रमशः 4.41 प्रतिशत, 3.53 और 2022-23 में मात्र 3.14 प्रतिशत कर दिया।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने कहा था कि विश्व की सबसे अच्छी बीमा फसल योजना ला रहे हैं जबकि उसकी सच्चाई यह है कि इस योजना में निजी कंपनियों ने 34,000 करोड़ रुपये कमाए और गुजरात सहित 06 प्रांतों ने इस योजना को बंद कर दिया। किसान सम्मान निधि के नाम पर छह हजार रुपये साल देने का स्वांग किया और पच्चीस हजार रुपये प्रति हेक्टेयर खेती की लागत बढ़ाकर किसानों को लूट लिया। यहां तक कि डीज़ल पर केंद्रीय एक्साइज़ ड्यूटी 2014 में 3.56 प्रति लीटर से बढ़ाकर 15.80 रुपये प्रति लीटर कर दिया। साथ ही पहली बार खेती पर टैक्स यानि जीएसटी लगाया गया।
सुरजेवाला ने दावा किया कि हाल ही मोदी सरकार ने रबी फसल के किसानों को बहुत बड़ा धोखा दिया है। अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के चलते इस बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत अच्छी थी, तो एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया और समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी आधे से भी कम कर दी। पिछले वर्ष रबी मार्केटिंग सीज़न में समर्थन मूल्य पर गेहूं 433.4 लाख टन खरीदा गया था, जो इस बार मई माह तक मात्र 186.5 लाख टन खरीदा गया। देश अपेक्षा कर रहा था कि गेहूं पर 250 रुपये का बोनस घोषित कर सरकार पर्याप्त मात्रा में गेहूं खरीदेगी मगर मोदी सरकार ने देश के किसानों के साथ विश्वासघात किया।
साभार-हिस