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  • कहा- देश को दंगों की आग में झौंकने के बाज आए सेक्युलर-जिहादी गठजोड़

नई दिल्ली। बंगाल का मुर्शिदाबाद लगातार चौथे दिन दंगों की आग में झुलस रहा है। वक्फ कानून के विरोध में अब संपूर्ण देश को दंगों की आग में जलाने की तैयारी चल रही है। यह आशंका व्यक्त करते हुए विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने स्मरण कराया कि यह कानून वही है जिसको बनाने से पहले लगभग एक करोड़ भारतीयों ने अपनी राय दी थी तथा संसद के दोनों सदनों में 25 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक चर्चा हुई थी। इसके बावजूद देश का सेक्यूलर जिहादी गठजोड़ देश को दंगों की आग में झौंकने का कुत्सित प्रयास कर रहा है जिससे उसे बाज आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून बनने के बाद इसके विरोध में 18 से अधिक याचिकाएं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की जा चुकी है। संविधान की दुहाई देने वालों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। ऐसा लगता है देश के संविधान की दुहाई देने वालों को न देश के संविधान की चिंता है ना न्यायपालिका के सम्मान की।
वक्फबोर्ड के नाम पर चल रहे लैंड माफिया और मुस्लिम वोटों पर अपना एकाधिकार मानने वाले सेक्युलर माफिया को चिंता केवल अपने स्वार्थ की है। लैंड माफिया को चिंता है उनके द्वारा हड़पी गई जमीन छिन जाने की, तो सेकुलर माफिया को चिंता है मुस्लिम वोटों पर उनके कथित एकाधिकार के समाप्त होने की।
डॉ जैन ने कहा कि इन दोनों के अपवित्र गठबंधन का वीभत्स स्वरूप 2013 में गुरुग्राम में सामने आया था जब वहाँ के पालम विहार के पार्क की जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित किया था और नमाज के नाम पर जमावड़ा इकट्ठा किया जा रहा था। तत्कालीन कांग्रेस की राज्य सरकार ने उनकी हां में हां मिलाई थी जबकि किसी के पास कोई सबूत नहीं था। दिल्ली में अरबों खरबों रुपये मूल्य की 123 सरकारी संपत्तियों पर भी इन्होंने दावा ठोका था जिन्हें तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने बिना सबूत के 2014 में आम चुनाव घोषित होने के दिन ही उन्हे थाली में परोस कर फ्री में दे दिया था।
जागरुक हिंदू समाज, सजग न्यायपालिका और हिंदू संगठनों के अथक प्रयास के कारण ये दोनों षडयंत्र विफल हुए। लेकिन वक्फ कानून में 2013 के संशोधनों के आधार पर संपूर्ण देश में वक्फ के दावों की झड़ी सी लग गई और ऐसा लग रहा था मानो ये पूरे देश को ही वक्फ की संपत्ति घोषित करके कुछ मौलवियों की निजी मलकीयत बना दी जाएगी।
उन्होंने याह भी कहा कि कानून पास होने के बाद उन्हें विरोध करने का तो अधिकार है किन्तु, इसके नाम पर दंगे करने का नहीं। इस अपवित्र गठबंधन ने इसी तरह देश को बंधक बनाकर भारत का विभाजन करवाया था और शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध कानून बनवा लिया था। किन्तु, स्मरण रहे कि अब देश को बंधक बनाना संभव नहीं है। मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग ओवैसी जैसे नेताओं की असलियत को समझता है और देश की जनता राहुल व अखिलेश जैसे सेकुलर माफियाओं को बखूबी जान चुका है। इन लोगों को मालूम है कि कानून की असलियत क्या है और इन लोगों की क्या है। यह पूरे देश को मालूम चल गया है। अब इस गठजोड़ को विरोध के नाम पर दंगों व दंगाइयों से दूर रह कर अपनी इन हरकतों से बाज आना चाहिए।

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